दोस्ती वही जो दिखाई जाए,,,(हास्य व्यंग्य)

आज के दौर की दोस्ती में प्रदर्शन जिस तरह सर्वाधिक प्रचलित मापदंड बन गया उस देखते हुए सोचता हूं कि तब क्या होता जब महाभारत काल में इंटरनेट , tv, वगैरह होता । तब शायद कुछ ऐसा होता कि सुदामा श्री कृष्ण को ट्वीट के जरिये सूचित करते हे! बाल सखा मैं महल के बाहर प्रतिक्षरत हूं। ट्वीट मिलते ही श्रीकृष्ण के दरबार प्रमुख ने प्रभु को सूचना देने के पहले आनन फानन सभी खबरिया चेनलों को संदेश भेज दिया होता । जल्द ही समस्त कैमरों का पूरा ध्यान सुदामा के बढ़ते कदमों पर होता । आंखों से एक बूंद भी गिरती तो लाइव प्रसारण होता , क्योंकि शायद आज की तरह एक एक आंसू टीआरपी का मोती उस युग में भी होता । दुनिया भर में खबर फैलती की महल के द्वार से सुदामा के प्रवेश की खबर मिलते ही प्रभु ने स्वयं उनकी आगवानी के लिए प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया । प्रभु अपने मित्र को भावुकता से गले लगा रहे हैं। सुदामा के चरणों को धोया जा रहा है। इस इस सबका सीधा प्रसारण चल रहा होता। बैसे तो कृष्ण और सुदामा की दोस्ती का बखान आज भी होता है, लेकिन पता नहीं क्यो आज के दोस्त लोग इसकी चर्चा नही...