23 december kisan divas
पूर्व प्रधानमंत्री - किसानों के मसीहा रहे चौधरी चरण सिंह जी का जन्मदिवस
कर्ज माफी- नही है काफी
देश का किसान गरीब है, बदहाल है ,परेशान है । क्योंकि वह ऐसे पेशे से किसानी से जुड़ा है , जो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश मे घाटे का सौदा बनी हुई है।जब तक किसानी के पेशे को फायदे का सौदा नहीं बनाया जाएगा तब तक किसान की दुश्वारियों में कमी नही आयेगी। शायद यह बात देश के नेताओं को समझ नहीं आ रही, जी सियासत के लिए किसानों को कर्ज माफी की लालच देकर ,सियासी जंग खुद में जीत हासिल कर किसानों को और अधिक कर्ज में डुबोने का बंदोबस्त कर रहे हैं । राजनीतिक दल अगर आने वाले चुनावों में इस मुद्दे को चुनावी घोषणा में शामिल कर किसानों को लुभावने वादे देकर सरकार बनाते हैं , तो आने वाले समय में किसान की हालात कुछ ऐसे होंगे की वो आत्म निर्भर भी हो रहा होगा , तो इस कर्जमाफी की लालच में चलते फिरते दल दल में फस जाएगा ।सक्षम किसान भी कर्ज चुकाने से कन्नी काटने लगे हैं । इसका असर एक तरफ तो देश के आत्मनिर्भर होते किसानों को धीमा जहर देने जैसा होगा दूसरी तरफ इससे बैंको के साथ साथ राज्यों और देश की अर्थव्यवस्था का भी बुरा हाल होगा। और जिस देश की अर्थव्यवस्था खेती पर टिकी है और खेती करने वाला हीआत्मनिर्भर नहीं है अर्थात कर्ज और लालच के ऐसे दलदल में फंसा हो जहाँ से विकास की संभावनाएं नाके बराबर हो , तो वहां अंतरराष्ट्रीय कंपनियां कैसे वहाँ इन्वेस्टमेंट करने का सोच सकतीं
सच बात तो यह है कि कर्ज माफी की नीति मुफ्तखोरी की संस्कृति के साथ वित्तीय अनुशासनहीनता को बढ़ावा दे रही है । ऐसे तमाम देश जो अपने हलधरों के बूते तरक्की की छलांग लगा रहे हैं। उन्होंने किसान को सामर्थ्यवान बनाया उसकी आय बढ़ाई , इसे लाभ का सौदा बनाया ।मजेदार बात यह है कि किचंद किसान की ऋण लेने के लिए बैंक जाते हैं, ज्यादातर कर्जदारों, साहूकारों के मकड़जाल में उलझे हुए हैं ।उनके हित की अनदेखी इस कर्ज माफी की खिल्ली उड़ाती है । ऐसे में किसानों के मसीहा रहे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जन्मजयंती किसान दिवस पर राजनीतिक दलों द्वारा सियासी लाभ लेने के लिए कर्ज माफी नीति की पड़ताल सबसे बड़ा मुद्दा है।।।।।
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